साल 2010 में उत्तराखंड की एक घटना ने लोगों का रिश्तों से भरोसा उठा दिया। यह घटना उत्तराखंड में हुए अपराधों में अब तक का सबसे जघन्य अपराध माना जाता है। ये घटना एक ऐसे शख्स की है जिसने जिस औरत के साथ प्रेम विवाह किया, जिसके साथ जीने-मरने की कसमें खाई उस शख्स ने उसी औरत का कत्ल कर दिया और कत्ल करने के बाद उस शख्स ने अपनी पत्नी की लाश को छुपने के लिए जो कदम उठाया वो कत्ल से भी ज्यादा खौफनाक और शर्मनाक था।
ये घटना उत्तराखंड के देहरादून की है, 10 फरवरी 1999 को राजेश और अनुपमा दोनों बहुत खुश थें, क्योंकि दोनों के बीच साल 1992 से चले आ रहे प्रेम को उस दिन एक नया नाम मिल रहा था। दोनों अब पति और पत्नी के बंधन में बंधने जा रहे थें, वो दोनों प्रेम विवाह कर रहे थे। राजेश और अनुपमा दोनों दिल्ली के रहने वाले थें शादी के बाद राजेश गुलाटी अपनी पत्नी अनुपमा के साथ अमेरिका शिफ्ट हो गया। राजेश एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। साल 2006 आया और ये साल दोनों के जीवन में दो-दो खुशिया ले कर आया। दरअसल राजेश और अनुपमा जुड़वा बच्चों के माँ-बाप बन गए। इस जुड़वा बच्चों में एक लड़का और एक लड़की थी। इनका परिवार अब पूरा हो गया था। साल 2008 में राजेश अनुपमा के साथ अमेरिका से वापस दिल्ली आ गया। राजेश ने इंडिया में ही रहने का मन बना लिया और अपने पत्नी और बच्चों के साथ देहरादून में शिफ्ट हो गया। वो देहरादून छावनी के प्रकाश नगर में दो कमरों वाले एक किराये के मकान में रहने लगा। अमेरिका से इंडिया लौटने के बाद राजेश और अनुपमा के रिश्तों में अब वो पहले जैसा प्यार नहीं रह गया था। अब उनके रिश्तों में खटास आ गया था। अब दोनों बात-बात पर एक दूसरे से झगड़ने लगे थे, एक दूसरे को नीच दिखने लगे थे। इस तनाव भरे माहौल में गुलाटी परिवार को लगभग 2 साल बीत गए। इसी बीच 17 अक्टूबर 2010 को राजेश गुलाटी की पत्नी अनुपमा देहरादून से अचानक लापता हो गई। राजेश ने अपनी पत्नी के लापता होने के किसी भी तरह कोई भी कम्प्लैन्ट पुलिस थाने में दर्ज नहीं कराई और ना ही उसे ढूंढने में किसी तरह की दिलचस्पी दिखाई।
अनुपमा के लापता होने के बाद 4 साल के दोनों बच्चे अपनी माँ के लिए परेशान होने लगे। दोनों अपनी माँ से मिलने के लिए रोने लगे। जब दोनों बच्चे अपने पापा राजेश से पूछते की माँ कहाँ है, तब राजेश उनसे कहता की मम्मी तुम्हारे नाना-नानी के यहाँ दिल्ली गई है और वो जल्दी घर आ जाएंगी। पर यहाँ मामला ही कुछ और था क्योंकि अनुपमा अपने मैके दिल्ली में थी ही नहीं। उधर अनुपमा के माँ-बाप भी अपने बेटी को लेकर काफी परेशान थें, क्योंकि कई दिनों से फोन पर अनुपमा से बात नहीं हो पाई थी। वो जब भी अपने दमाद राजेश से बात कराने के लिए कहते तो राजेश बातों को घूमा देता। एक दिन अनुपमा के माँ-बाप ने राजेश से फोन पर पूछा की आखिर अनुपमा हमसे फोन पर बात क्यूँ नहीं करती। तब राजेश ने बताया की उन दोनों में थोड़ी नोक-झोंक हो गई है और वो गुस्से में घर से चली गई है। जब उसका गुस्सा शांत हो जायगा तब वो जल्दी घर लौट आएगी और आप लोगों से बात भी कर लेगी।
अनुपमा के माँ-बाप को भी लगा कि पति पत्नी में ऐसे झगड़े होते रहते है और जब अनुपमा का गुसा शांत हो जाएगा तो वो अपने घर लौट आएगी। ऐसे ही लगभग 1.5 महीने बित गए और उन बूढ़े माँ-बाप को अनुपमा के बारे में कोई भी खोज खबर नहीं मिल पाई। ऐसे में उन्होंने अपने बेटे सुजान कुमार प्रधान को देहरादून अनुपमा की खबर लेने के लिए भेज दिया। अनुपमा को लापता हुए 57 दिन बित चुके थे और ठीक 57 वें दिन दिसम्बर 2010 को अनुपमा के भाई सुजान कुमार प्रधान अपनी बहन अनुपमा के घर देहरादून पहोचा। सूजान कुमार प्रधान ने जब अपने जीजा राजेश गुलाटी से अपनी बहन के बारे में पूछा तब राजेश ने कहाँ कि उसे नहीं पता है कि अनुपमा कहाँ है। राजेश अपने साले सुजान प्रधान के हर सवाल के गोल-मोल जबाब देने लगा। जिससे सुजान प्रधान को अपने जीजा राजेश पर शक होने लगा सुजान को लगा हो न हो राजेश को पक्का ये बात पता है कि अनुपमा कहाँ है। सुजान प्रधान जब अनुपमा से मिलने के लिए घर के अंदर जाने लगा तब राजेश उसके बीच में आ गया। वो उसे घर के अंदर जाने से रोकने लगा। सूजन प्रधान अपने जीजा राजेश के इस हरकत से बूरी तरह चौक गया। उसे अब यकीन हो गया कि हो न हो उसकी बहन के साथ कुछ तो गलत हुआ है। इसके बाद उसने बिना देरी कीये छावनी थाने में अपने बहन के लापता होने की कम्प्लैन्ट दर्ज करा दी। पुलिस मामले की छान-बिन के लिए सुजान प्रधान के जीजा राजेश गुलाटी के दो कमरे वालों किराये के मकान पर पहोचि। पुलिस ने कमरों का कोना-कोना छान मारा पर अनुपमा उन्हे कहीं नहीं मिली। तभी अचानक पुलिस की नजर कमरे के कोने मे पड़े एक नये डीप फ्रीज़र पर पड़ी। पुलिस ये सोच कर हैरान हुई कि डीप फ्रीज़र तो अक्सर दूकानों में रखे जाते हैं, घरों के लिए तो अधिकतर नॉर्मल फ्रीज़र यूज होती हैं। राजेश को ऐसी क्या जरूरत पड़ गई कि घर में डीप फ्रीज़र रखना पड़ गया। पुलिस ने उस डीप फ्रीज़र को खुलवाया जब डीप फ्रीज़र खुला तो पुलिस को उसमें कई सारी काली पॉलिथीन की थैलियां रखी मिली। उन थैलियों में जो भी था वो जम के पत्थर जैसा हो चुका था। उन सारे थैलियों को डीप फ्रीज़र से बाहर निकाला गया। जब थैलियों से बर्फ पिघली और उसे पुलिस ने खोल कर जब उसके अंदर झाका तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
थैलियां इंसानी मांस के टुकड़ों से भारी हुई थी। इसके बाद एक-एक कर के सारी थैलियां चेक की गई। सबमें इंसानी शरीर के कोई न कोई टुकड़े भरे गए थे। एक पूरे इंसान को 70 टुकड़ों में काटकर कई पॉलिथीन की थैलियों में भर दिया गया था। पुलिस ने उन सारी थैलियों और वहा मौजूद सारे सबूतों को जब्त कर लिया। अब ये बात तो एकदम साफ हो चुकी थी कि ये मांस के टुकड़े किसके थें। पुलिस ने राजेश गुलाटी को तत्काल गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस को राजेश गुलाटी से काली पॉलिथीन के राज उगलवाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। राजेश ने बिना किसी पश्चाताप से पुलिस को बताया कि शादी के बाद से ही अनुपमा के साथ उसके संबंध बिगड़ गए थें। और उनके संबंध तब और बत्तर हो गए जब वे देहरादून में शिफ्ट हुए। दोनों में छोटी-छोटी बातों को लेकर काफी लड़ाई होती और धीरे-धीरे बात हद से ज्यादा बढ़ जाती। राजेश अनुपमा से इस बात को लेकर झगड़ता की अनुपमा का अमेरिका में उसके एक दोस्त के साथ अफेयर चलने लगा था। अनुपमा राजेश से इस बात को लेकर झगड़ती की राजेश का शादी के बाद भी कोलकाता की एक महिला से अवैध संबंध था। पुलिस की पूछ-ताछ में राजेश गुलाटी ने इस बात का खुलासा किया कि अमेरिका से वापस आने के बाद उसने चुपके से कोलकाता में एक महिला से शादी कल ली थी। अनुपमा ने देहरादून में महिला हिंसा रोधी शाखा में अपने पति के खिलाफ शिकायत भी की थी। जिसके कारण राजेश को हर महीने अनुपमा को 20000 रुपये गुजारा भत्ता के रूप में देना पड़ता था। राजेश के मुताबिक अनुपमा कुछ ही महीनों के बाद उससे और पैसों की मांग करने लगी। राजेश के हिसाब से 17 अक्टूबर को अनुपमा यही मुद्दा उठा कर राजेश से बहस करनी लगी कि 20000 रुपये उसके लिए पर्याप्त नहीं है और उसे और पैसे चाहिए। अब दोनों पति पत्नी के बीच इसी बात को लेकर बहस चालू हुई और धीरे-धीरे इस बहस ने हाथा पाई और मार-पीट का रूप धारण कर लिया। इसी बीच राजेश ने अनुपमा को पकड़ के जोर से पीछे धकेल दिया जिससे अनुपमा अपना संतूलन खो बैठी और गिर पड़ी। गिरते ही अनुपमा का सिर बेड के कोने से जा लगा, जिससे वो बेहोश हो गई। अनुपमा को देख राजेश की हालत खराब हो गई। पहले तो राजेश को लगा कि अनुपमा मर गई है। लेकिन जब वो अनुपमा के पास गया तो उसने देखा की अनुपमा की सासे अभी भी चल रहीं हैं। अब उसके मन में ये द्वंद चलने लगा कि वो अपनी पत्नी का करे तो क्या करे। अगर उसे जिंदा छोड़ दिया तो वो उसे जरूर जेल भेजवा देगी। फिर उसने सोच कि इससे अच्छा ये रहेगा कि इसके साथ कुछ ऐसा किया जाए जिससे दुनिया कभी ये जान ही न पाए की अनुपमा के साथ क्या हुआ। अब अपने एक जुर्म को छुपने के लिए राजेश गुलाटी ने एक और भयानक जुर्म करने की ठान ली। राजेश घर में रखे कॉटन ले आया और उस कॉटन को बेहोस पड़ी अनुपमा के मुह और नाक में ठूस दिया ताकि वो सास न ले पाए और दम घुटने से जल्दी ही उसकी जान चली जाए, हुआ भी कुछ ऐसा ही। कुछ ही देर बाद अनुपमा की सास बंद हो गई। राजेश के सामने अब एक और दिक्कत खड़ी हो गई कि अब लाश को ठिकाने कहाँ लगाया जाए। इसके लिए वो सोचा कि वो लाश को मसूरी के जंगलों में फेक कर आएगा। पर अगर वो लाश को अपने घर से बाहर खड़ी अपनी कार तक ले गया और किसी की नजर उस पर पड़ गई तो उसका सारा भेद खुल जायगा। दो दिनों तक राजेश इसी उधेड़-बून में फसा रहा कि लाश का किया तो किया क्या जाए। इस बीच अनुपमा की लाश दो दिनों तक राजेश की बाथरूम में पड़ी रही। अब इसके लिए उसके दिमाग में एक ख्याल आया की लाश को छोटा करना पड़ेगा और धीरे-धीरे कर उसे ठिकाने लगाना पड़ेगा।
घटना के दो दिन बाद राजेश गुलाटी बाजार गया और वो से एक इलेक्ट्रिक आरी यानि गरेंडर मशीन, एक हथौड़ा और एक डीप फ्रीज़र खरीद लाया। अनुपमा ने जिस इंसान के साथ न जाने कितने खूबसूरत पल बिताए थे, साथ जीने मरने की कसमें खाई थीं, जिसने उस इंसान को दो खूबसूरत बच्चे दिए थे, उस दिन वही इंसान उसके शरीर से उसकी सासे छीन कर इलेक्ट्रिक आरी से उसके शरीर के अंगों को एक-एक कर के काटने लगा। राजेश का पूरा शरीर अनुपमा के खून की छिटो से भर गया, पर वो अपनी पत्नी की लाश को काटता रहा और वो तब तक नहीं रूका जब तक की उसने लाश के 70 टुकड़े नहीं कर दिए। फिर इन टुकड़ों को उसने थोड़ा-थोड़ा कर के कई काली पॉलिथीन की थैलियों में भर दिए और इन थैलियों को डीप फ्रीज़र में डाल दिया ताकि लाश के टुकड़े सड़े ना और उनमें से बदबू न आए। अब वो आसानी से अनुपमा को ठिकाने लागा सकता था। राजेश को लाश को टुकड़े करने का आइडिया एक मशहूर हॉलिवुड फिल्म “The Silence of the Lambs” से आया था।
इस बीच वो कई बार इन पॉलिथीन की थैलियों को ठिकाने लगाने के लिए मसूरी के जंगलों में गया। इन थैलियों को फेकने में उसने बहुत सावधानी और तसल्ली दिखाई। इसके लिए वो एक बार में केवल एक ही थैली फेकने ले जाया करता था और साथ में वो अपने दोनों बच्चों को भी ले जाता था। जिस माँ से मिलने के लिए दोनों बच्चे 57 दोनों तक परेशान रहे, रोते रहे अब वो माँ उन्ही के घर के डीप फ्रीज़र में लाश बन के पड़ी रही। सोचिए कि अगर दिसम्बर 2010 को अनुपमा का भाई सुजान कुमार प्रधान देहरादून नहीं पहोचा होता और राजेश उसे घर में घुसने से नहीं रोका होता तो शायद राजेश का ये भेद खुल पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता।
राजेश गुलाटी ने अपने किये अपराध को बड़ी आसानी से स्वीकार कर लिया। उसे अपनी पत्नी की हत्या का रत्ती भर भी पश्चाताप नहीं था। पुलिस ने उससे जो भी पूछा उसका वो बड़ी सरलता और बेफिक्रे से जबाब देता गया। राजेश ने पुलिस को बताया कि उसने जो भी किया सही किया और ये सब उसने अपने बच्चों के भले के लिए किया। पुलिस ने कुछ थैलियों को उस जगह से बरामद भी कर लिए जिस जगह राजेश ने उन्हे फेके थे।
इस केस को लेकर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर राजेश गुलाटी को अनुपमा की हत्या का आरोपी बताते हुए देहरादून कोर्ट में 10 मार्च 2011 को चार्ज शीट दाखिल कर दी। कोर्ट ने राजेश गुलाटी को सितम्बर 2017 में उम्र कैद की सजा सुन दी। कोर्ट ने उसपर 15 लाख का जुर्माना भी लगाया और कोर्ट ने कहाँ कि इन पैसों में से 70 हजार रुपये राजकीय कोष में जाएंगे और बाकी बचे हुए पैसे राजेश के बच्चों के बैंक अकाउंट में जमा होंगे जिससे उनके देख भाल के लिए खर्च कीये जायेंगे।
राजेश गुलाटी ने 2017 में ही देहरादून के निचली अदालत में इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती दे दी थी तभी से ये मामला हाई कोर्ट में लंबित है। राजेश के दोनों बच्चे अब बड़े हो चुके हैं और वो अपने मामा सुजान कुमार प्रधान के साथ रहते हैं।